भाषा


भाषा का अर्थ - भाषा शब्द संस्कृत के 'भाष्' धातु से बना है, इसका तात्पर्य  है -'व्यक्त करना'  | 
भाषा एक व्यापक शब्द है , इसका किसी विशेष समूह द्वारा अपने भावों को व्यक्त करने के प्रतीक या संकेत साधनों से ही नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति  द्वारा प्रयुक्त ध्वनि सकेतों एवं प्रतीकों से है | 
वास्तव में भाषा का आशय ध्वनि संकेतों से ही है जो बोलकर या लिखकर व्यक्त की जाती है 


भाषा की परिभाषा - भाषा विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है | 

भाषा वैज्ञानिकों ने कई प्रकार से भाषा को व्याख्यायित  किया है- डॉ. पृथ्वीनाथ पाण्डे जी का मानना है कि भाषा का अस्तित्व प्रतीकों से है, ये प्रतीक ध्वन्यात्मक ,चित्रात्मक और  स्पर्शात्मक संकेत हो सकते हैं | 


आचार्य देवेन्द्रनाथ के अनुसार - "उच्चारित ध्वनि संकेतों की सहायता से भाव अथवा विचार की पूर्ण अभिव्यक्ति ही भाषा है" | 

डॉ. बाबूराम सक्सेना के अनुसार - जिन ध्वनि चिन्हों की सहायता से  मनुष्य  परस्पर विचारों एवं भावों का विनिमय करता है, उसके समष्टि रूप को भाषा कहते हैं | 
इस प्रकार हम कह सकते हैं की भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम बोलकर, लिखकर या संकेत कर परस्पर अपने विचार या भावनाओं का आदान -प्रदान करते हैं | 
भाषा अभिव्यक्ति के दो रूप हैं - बोलकर  और लिखकर |  इसके अतिरिक्त भाषा का एक और रूप है सांकेतिक | ये संकेत प्रमुख रूप से तीन प्रकार के हो सकते हैं -
1. चित्रों एवं रगों के माध्यम से संकेत देकर 
2. ध्वनि संकेत 
3. आंगिक संकेत 
भाषा की विशेषताएँ - 
1. भाषा विचार और भाव संप्रेषण का माध्यम है | 
2. भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है | 
3. भाषा किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं अपितु समाज की उपज है | यह एक अर्जित संपत्ति है | 
4. भाषा सार्थक ध्वनि संकेतों का समष्टि रूप है | 
5. भाषा का रूप परिवर्तनशील होता है | 
6. भाषा का प्रामाणिक साहित्य होता है | 
7. भाषा सांस्कृतिक धरोहर की परिचायक होती है | 
8. भाषा का अपना एक वैज्ञानिक स्वरूप होता है | 
9. भाषा का अपना एक व्याकरण होता है | भाषा व्याकरण सम्मत होती है | 
10. भाषा के विविध रूप हैं | 

बोली 
किसी सीमित क्षेत्र में व्यवहृत भाषा जो मानक नहीं है , बोली कहलाती है | बोली का समृध्द साहित्य नहीं होता | बोली मानक भाषा के सामान परिनिष्ठित भी नहीं होती | छत्तीसगढ़ी, बघेलखंडी आदि बोली के उदाहरण हैं | 
भाषा और बोली में अंतर - 
1. भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है , जबकि बोली का क्षेत्र सीमित होता है | 
2. भाषा का अपना समृध्द साहित्य होता है , जबकि बोली में सीमित लोक साहित्य  का सृजन होता है | 
3. भाषा बोली का मानक रूप है यह व्याकरण के नियमों से आबध्द होती है , जबकि बोली में यह गुण नहीं पाया जाता  |  
उदाहरण - हिंदी {खड़ी बोली } भाषा है | छत्तीसगढ़ी और बघेलखंडी बोलियाँ  हैं | 
हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है | 
विभाषा 
बोली का वह रूप जो विकसित होकर साहित्यिक रचनाओं में प्रयुक्त होती है और सीमित क्षेत्र से निकलकर पूरे प्रान्त की या उपप्रान्त की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित होती है , उसे विभाषा कहते हैं | विभाषा को उपभाषा भी कहा जाता है | यह मानक साहित्य में प्रयुक्त भाषा से भिन्न होती है | यह विभेद इसके उच्चारण , व्याकरण एवं शब्द प्रयोग में देखा जा सकता है | अवधी ,मैथिली आदि इसी श्रेणी की बोलियाँ हैं , जिन्हे विभाषा का दर्जा प्राप्त है |  
राज  भाषा 
देश या राज  के कामकाज में प्रयुक्त होने वाली भाषा राजभाषा कहलाती है | हमारे मध्यप्रदेश की राजभाषा हिंदी है | 
राष्ट्र भाषा 
वह भाषा जो किसी देश के सर्वाधिक लोगों  द्वारा बोली और समझी जाती है , राष्ट्र भाषा की श्रेणी में आती है | राष्ट्रभाषा किसी देश की सस्कृति और सभ्यता की पहचान होती है| यह सम्पूर्ण देश की संपर्क भाषा होती है |  हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है | 
मातृभाषा 
वह भाषा जो मनुष्य अपने जन्म के साथ माँ से प्राप्त करता है, मातृभाषा कहलाती है  | इसे वह घर पर ही सीखता है | हर मनुष्य की मातृभाषा पृथक-पृथक हो सकती है | 










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